꧁ ll जय माता दीll꧂


श्री ॐ शक्ति साई सेवाधाम आश्रम
प.पु. संतश्री विष्णुजी महाराज (बापुजी) द्वारा 
*गरबा*
गरबा के शाब्दिक अर्थ पर गौर करें तो यह गर्भ-दीप से बना है। नवरात्रि के पहले दिन छिद्रों से लैस एक मिट्टी के घड़े को स्थापित किया जाता है जिसके अंदर दीपक प्रज्वलित किया जाता है और साथ ही चांदी का एक सिक्का रखा जाता है। इस दीपक को दीपगर्भ कहा जाता है। दीप गर्भ के स्थापित होने के बाद महिलाएं और युवतियां रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर मां शक्ति के समक्ष नृत्य कर उन्हें प्रसन्न करती हैं। गर्भ दीप स्त्री की सृजनशक्ति का प्रतीक है और गरबा इसी दीप गर्भ का अपभ्रंश रूप है।  
*डांडिया*
गरबा नृत्य में महिलाएं ताली, चुटकी, डांडिया और मंजीरों का प्रयोग भी करती हैं। ताल देने के लिए महिलाएं दो या फिर चार के समूह में विभिन्न प्रकार से ताल देती हैं। इस दौरान देवी शक्ति और कृष्ण की रासलीला से संबंधित गीत गाए जाते हैं।
डांडिया रात में किया जाता है , आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्रि में रात में जागरण का बहुत महत्व है और ऐसे रात्रि जागरण करना कठिन होता है इसलिए डांडिया ओर भजन करके रात्रि जागरण किया जाता है।

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