श्री ॐ शक्ति साई सेवाधाम आश्रम प.पु. संतश्री विष्णुजी महाराज (बापुजी)
द्वारा श्रीमद भगवत गीता के एक श्लोक द्वारा समझाया कि हम किस प्रकार
निष्काम कर्म योग कर सकते है जो स्वत: होने वाले लाभ से संतुष्ट रहता है,
जो द्वैत भाव से मुक्त है और ईर्ष्या नहीं करता, जो सफलता तथा असफलता
दोनों में स्थिर रहता है, वह कर्म करता हुआ भी कभी बंधता नहीं
꧁ ll जय माता दीll꧂
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